युग प्रवर्तक श्री दुर्बल नाथ
राजस्थान जितना वीरता के लिए प्रसिद्ध है उतना ही ऋषि मुनिओ के लिए |
अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसा है अलवर जिला
अलवर की लक्ष्मण गढ़ की तहसील में एक गांव है जिसका नाम है बिचगंवा |
कच्ची झोपड़ियो का एक समूह खटिक माडी , इसमें श्री फत्तुराम व रूपा देवी के भाद्रपद सुदी एकादसी ११ वि. स. १९१८ को एक सुंदर देव स्वरुप शिशु ने जन्म लिया |
यही बालक कालांतर में अपने तप एवं कर्म के बल पर युग प्रवर्तक श्री दुर्बल नाथ के नाम से विख्यात हुआ
आपका बचपन का नाम कल्या था आप गाय चराते थे किन्तु उस परम तत्वा की खोज में कई कई घंटे तप और साधना में बीत जाते थे ये खबर जब घर वालो को लगी तो वो बहुत चिंतित होने लगे और सोचने लगे की हमारा कल्या साधू न बन जाये
अतः आपका बाल्य काल में ही विवाह सजातीय अलवर शहर की मानवती कन्या से कर दिया |
गृहस्थ का पालन करते हुए भी आपका मन निरंतर परमात्मा की खोज में लगा रहता
आपने अपने तपोबल से यह जानकर की श्याम्दा गद्दी पर विराजमान साधू श्री गरीबनाथ महाराज समर्थ गुरु है
को अपना गुरु बनाया श्री गरीबनाथ जी ने आपको मंत्र बोध करा कर नाम कल्या से दुर्बल नाथ किया
आपने आश्रम बांदीकुई में पूर्व घोषणानुसार चेत्र सुदी पूर्णिमा को वि.स..१९८६ भक्तो के सम्मुख शारीर त्याग दिया
आप इस संसार में ६७ वर्ष ,७ माह ,५ दिन रहे
आपने ३९ वर्ष तक वैराग्य जीवन व्यतीत किया आप अनपढ़ थे आप ने अपने तपोबल से अनुभव करके १३९६ वाणियो की रचना की आपकी पुस्तक का नाम "अनुभव आत्म प्रकाश "है |
आपने अपने वैराग्य जीवन में अलवर भरतपुर ,जयपुर सवाई माधोपुर ,दिल्ली करोली अम्बाला आदि स्थानों पर प्रवास किया
आपने भक्तो सेवको को उपदेश दिया आपने श्याम्दा, थली ,जमुआ रामगढ ,बांदीकुई आदि स्थानों पर आश्रमों का निर्माण किया इस दौरान विभिन्न दीन दुखियो के कष्ट -मुक्त कर चमत्कारिक कार्य किये ----
१ जब गुरु गरीबनाथ जी ने अपना रूप शेर का किया तो आपने स्वयं को गाय का रूप देकर गुरु को प्रणाम किया
२ करोली नरेश महाराज भंवरपाल सिंह के सामने भारी पत्थर की शिला को तैरा कर जन समूह को दिखाया
३ जमुआ रामगढ में शेर द्वारा मारी गई गाय को उसके बछड़े के रुदन से द्रवित होकर गाय को जीवन दान दिया
४ गोपाल गढ़ (जयपुर) के रणजीता गुर्जर के इकलोते मृत पुत्र को जन समूह के सामने जीवन दान दिया
५ बीजा राम सेवक जो की अँधा था को नेत्रों में ज्योति का संचार किया
६ जमुआ रामगढ में भादो सुदी एकादशी( जल झुलनी ) को सत्संग में भक्तो की मांग पर श्री कृष्ण के दर्शन कराये
७ बांदीकुई में आपने शारीर त्यागने का दिन ६ माह पहले हि घोषित कर दिया | और उसी दिन शारीर को त्याग दिया
इस प्रकार आपने अपने तपोबल से जन जन का कल्याण किया आपके चिंतन अनुभव में समस्त शाश्त्रो का सरांस नज़र आता है आपकी खोज केवल सर्व शक्तिमान एवं परम तत्त्व की खोज है
आपने तंत्र -मंत्र जादू - टोना पाखंड का खंडन किया आपने संत अखंडी पंथ की स्थापना कर नए युग का सूत्र पात किया
आप श्री गोरक्ष नाथ एवं भरथरी वैराग्य के संत थे
अंत में धन्य है वो धरा जिस पर अनंत श्री दुर्बल नाथ जी महाराज जैसे संतो ने जन्म लिया |
हमें चाहिए की अनंत श्री जी द्वारा निर्देशित मार्ग का पालन करते हुए संसार में उनके ज्ञान -विज्ञानं का प्रचार -प्रसार करे
यही हमारी अनंत श्री के प्रति "भक्ति व निष्ठां "का रेखांकन होगा
ज्ञान गुरज लिया हाथ में ,शील शब्द तलवार |
शीश काल का कूटकर "दुर्बल "उतरा पार ||
दया, गरीबी, आधीनता ,समता शील शंतोश |
यह गहना हरिभक्त का ,तो मिटे कर्म का दोष
अनंत श्री जी समाज गुरु हम सभी का कल्याण करें
इसी आशा एवं विश्वाश के साथ
आपका
छैल बिहारी किराड़ 8890410303
good story
ReplyDeleteYe story' muje smjh nhi aai h plz muje thoda sanchhep me batao mera bht man h durbalnath ji ke bare me padhne ka plz help me
ReplyDeleteBolo Durbal nath maharaj ki jai,,,,Main aap ka abhari hu, ki itna gyan aap ke dwara prapt hua,,,
ReplyDeleteSb durbal nath dhong h sb pagl bnate h
ReplyDeleteIf u dont knw about sometimessomething so dont say anything wrong
Deleteजय संत श्री दुर्बल नाथ महाराज की
DeleteJai durlab nath ji maharaj ki jai
ReplyDeleteसंत श्री बाबा दुर्बल नाथजी महाराज की जय हो जय हो गुरुदेव आपकी जय हो
ReplyDeleteSant shree durbal nath ji mharaj ki Jai🙏🙏
ReplyDeleteBolo Durbal Nath Maharaj ki jai
ReplyDeleteOr bahot Acha kaam Kar rahe ho kirar Mosa ki jai khatik samaj
Saint Sh. DurbalNath ka gotra kya tha
ReplyDeleteबहुत बढिया उल्लेख किया गया महान संत श्री दुर्बल नाथ जी के बारे में पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा महान संत दुर्बल नाथ जी महाराज की जय
ReplyDeleteI need to read more..plz Express some more information
ReplyDeleteJai ho baba ki
ReplyDeleteअगर ये खटीक समाज से थे, तो इनका गोत्र क्या था ?
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