Saturday 17 September 2011

हर नज़र को एक नज़र की तलाश है,....


हर नज़र को एक नज़र की तलाश है,

हर चहरे मे कुछ तो  एह्साह है,

आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,

क्या करे हमारी पसंद ही कुछ "ख़ास" है. .

चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,

तो  चाँद की चाहत किसे होती.

कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,

तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.

दोस्ती सच्ची हो तो वक्त रुक जाता है

आशमा लाख ऊँचा हो मगर झुक जाता है

दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,

अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जाता है.

दोस्ती वो एहसास है जो मिटता नही.

दोस्ती पर्वत है  जो झुकता नही,

इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,

यह वो "अनमोल" मोती है जो बिकता नही . . .

सची है दोस्ती आजमा के देखो..

करके यकीं मुझ पर मेरे पास आके देखो,

बदलता नही कभी सोना अपना रंग ,

चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो 
         आपका 
   छैल बिहारी किरार 

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